इन आसन कॉरोना वायरस से लड़ने में करेगे मदद, हार्वर्ड मेडिकल स्कूल ने भी दी सलाह

 नई दिल्ली-
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल (Harvard Medical School) ने अपने नए स्वास्थ्य दिशा-निर्देश में कहा है कि योग, ध्यान एवं सांस लेने पर नियंत्रण, “शांत होने के कुछ सही एवं आजमाए हुए तरीके हैं।” कोरोना वायरस की व्यग्रता से निपटने विषय पर लेख इस हफ्ते प्रकाशित हुआ है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के संकाय एवं यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के डेविड गेफेन स्कूल ऑफ मेडिसिन के बोर्ड प्रमाणित मनोरोग चिकित्सक जॉन शार्प ने कहा कि यमित ध्यान बहुत राहत देने वाला है। उन्होंने आगे कहा कि अगर आप योग नहीं करते हैं? जब तक मन करें तब तक कोशिश न करें। कई बार कुछ नयी चीजें करना और नई गतिविधियों का पता लगा कर आप लाभ ले सकते हैं। योग स्टूडियो और पॉकेट योग जैसे ऐप पर विचार कर सकते हैं। कई बीमारियों से लड़ने की शक्ति देता है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल (Harvard Medical School) ने भी इसको माना है। इस संस्थान ने कोरोना वायरस से जुड़ी व्यग्रता से निपटने के लिए योग, ध्यान लगाने एवं सांस पर नियंत्रण की सलाह दी है।
श्वेत रक्त कोशिकाओं में होती है वृद्धि
बाबा रामदेव भी मानते हैं कि योग करने से कोरोना वायरस से लड़ने की शक्ति मिलती है। ये हमारे शरीर को मजबूत करता है। प्रतिदिन नियमित तौर पर योगासन करने से शरीर में श्वेत रक्त कोशिकाओं में वृद्धि होती है। इन्हीं की वजह से रोग से प्रतिरोधात्मक क्षमता बढ़ती है। जब हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है कि कोई वायरस या कीटाणु हमें संक्रमित नहीं कर पाता है। हमारे शरीर की रोगों से लड़ने वाली यह प्रणाली उसे स्वमेय खत्म कर देती है।
ये आसन कोरोना से लड़ने में करेंगे मदद
1. उष्ट्रासन: पाचन तंत्र को बेहतर कर भूख बढ़ाता है। कमर दर्द में भी आराम 
2. पश्चिमोत्तानासन: यह यकृत और गुर्दे से संबंधित रोगों से बचाव करता है 
3. पवनमुक्तासन: वायु विकार और कब्ज मिटाने में प्रभावी है। दुर्बलता होती है दूर।

2019 में ही हो गई थी कॉरोंना वायरस कि पहचान, सामने आए थे अजीब क़िस्म के निमोनिया के मामले


इस रिपोर्ट के मुताबिक, 21 फरवरी को वायरस के प्रकोप का खुलासा होने के बाद इटली में सुरक्षा के इंतजाम सवालों के घेरे में आए। रेमुजी ने कहा कि वह चिकित्सकों से इसके बारे में सुन रहे थे। रिपोर्ट में रेमुजी के हवाले से लिखा गया है, "मुझे याद है कि बुजुर्ग लोगों में बहुत अजीब निमोनिया देखा गया, विशेष रूप से नवंबर और दिसंबर में।" उन्होंने कहा, "इसका मतलब है कि वायरस कम से कम (उत्तरी क्षेत्र में) लोम्बार्डी में घूम रहा था, चीन में होने वाले इसके प्रकोप के पहले से।" रेमुजी का मानना था कि अन्य देश इटली से महत्वपूर्ण सबक सीख सकते हैं। इटली में शनिवार को कोरोना वायरस के 6,557 नए मामले आए। 21 फरवरी को इसके उत्तर में महामारी फैलने के बाद से अब तक कुल 53,578 मामले आ चुके हैं। पिछले हफ्ते इसने चीन के मौत के आंकड़े को पार कर लिया, जिससे यह वैश्विक स्तर पर इस संकट से सबसे अधिक प्रभावित देश बन गया है। रविवार तक इटली में 4,825 मौतें दर्ज की गईं, जबकि चीन में अब तक कुल 3,144 मौतें दर्ज हुईं हैं।

जीवन प्रत्याशा घटता है तनाव, इसलिए खुश रहिए ज्यादा जिएगे 

(लाइफ एक्सपेक्टेंसी) न केवल हमारी पारंपरिक जीवन शैली से जुड़े जोखिम कारकों से प्रभावित होती है। बल्कि हमारे जीवन की गुणवत्ता से संबंधित कारकों जैसे भारी तनाव से भी प्रभावित होती है। बीएमजे ओपन नामक पत्रिका में प्रकाशित यह अध्ययन फिनलैंड के 'नेशनल फाइनलॉर्स स्टडी' (1987-2007) में 25 से 74 वर्ष की आयु के पुरुषों और महिलाओं पर किए शोध के निष्कर्षों के आधार पर जारी किए गए हैं। सटीक नतीजों के लिए शोधकर्ताओं ने जीवनशैली से जुड़े जोखिम वाले कई कारकों के प्रभावों की गणना की। आमतौर शोधकर्ता जीवन प्रत्याशा का आकलन कुछ बनी-बनाई समाज शास्त्रीय पृष्ठभूमि वाले कारकों जैसे उम्र, gender और शिक्षा के आधार पर किया है। लेकिन फिनलैंड में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड वेलफेयर के शोधकर्ता टॉमी हरकेनन ने बताया कि उनकी टीम ने अध्ययन के लिए इनके अलावा भी जीवनशैली को प्रभावित करने वाली अन्य कई बातों को शामिल किया। शोधकर्ताओं ने बीएमआइ (Body Mass & Index), रक्तचाप और कॉलेस्ट्रॉल के स्तर को बदलकर जोखिम कारकों के जीवन प्रत्याशाओं पर पडऩे वाले प्रभावों की गणना की। शोधकर्ताओं ने पाया कि 30 वर्षीय पुरुषों के लिए जीवन प्रत्याशा कम होने का सबसे बड़ा कारण धूम्रपान और मधुमेह है। धूम्रपान उनकी जीवन प्रत्याशा से 6.6 वर्ष और मधुमेह 6.5 वर्ष कम कर देता हैं। स्वच्छ और ताजा फल खाने से जहां हमारी जीवन-प्रत्याशा में 1.4 साल की वृद्धि होती है वहीं जैविक तरीके से उगाई गई सब्जियों के सेवन से 0.9 साल की वृद्धि होती है। इन कारकों ने शोध के दौरा स्त्री और पुरुषों दोनों की जीवन प्रत्याशा को प्रभावित किया।
महिलाओं पर भी पड़ता असर
बात करें महिलाओं की तो धूम्रपान करने वाली महिलाओं की जीवन प्रत्याया घटकर 5.5 साल और मधुमह के चलते 5.3 साल जबकि भारी तनाव में रहने से जीवन प्रत्याशा में 2.3 साल तक कम हो सकते हैं। अध्ययन के एक अन्य शोधकर्ता सेपो कोस्किनन ने बताया कि शोध के बारे में सबसे दिलचस्प था कि 30 साल के पुरुषों और महिलाओं की जीवन प्रत्याशा में अंतर बहुत कम था। अध्ययन में कहा गया है कि मृत्यु दर में वृद्धि, धूम्रपान, अत्यधिक शराब का उपयोग, आहार संबंधी सावधानियां और व्यायाम की कमी जैसी जीवनशैली वाले लोग सबसे आम हैं। इनकी सामाजिक स्थिति भी सबसे कमजोर है।

खुद को संक्रमित किए बिना मां को ठीक करने में हुई कामयाब, इनसे समझिए कैसे करे कोराना वायरस से बचाव 


कई दिनों तक अपनी मां की सेवा करने के बाद जब वुहान के केन्द्रीय अस्पताल में चिकित्सकों ने इस युवती की जांच की तो उन्होंने पाया कि वह बिल्कुल स्वस्थ है। जबकि बीते एक सप्ताह से वह शहर के विभिन्न अस्पतालों और आइसोलेशन वार्ड में चक्कर काटती रही। इस युवती ने अपनी कहानी और संक्रमित हुए बिना अपनी मां के इलाज के बारे में फेसबुक पर पूरी कहानी साझा की ताकि दूसरे भी कोरोना वायरस से संक्रमित परिजनों की सेवा करने के दौरान खुद को और अन्य सदस्यों को संक्रमित होने से बचा सकें। खुद को संक्रमित किए बिना मां को ठीक करने में हुईं कामयाब, इनसे समझिये कैसे करें कोरोना वायरस से बचाव ऐसे बचाया खुद को संक्रमित होने से लड़की ने बताया कि इलाज के दौरान उन्होंने चिकनी सतह वाली जैकेट पहन रखी थी जिसे एल्कोहल या स्पिरिट से आसानी से पोछा जा सकता था। जैकेट के अंदर उन्होंने हुडी टीशर्ट पहनी थी। बाहर निकलने से पहले वे अपने बालों को अच्छे से धोकर उन्हें शॉवर कैप से कवर कर लेती थीं। इसके बाद वे अपने टीशर्ट के हुड को इस पर डाल लेती थीं। उन्होंने बाहर निकलने के दौरान उन्होंने एन-95 मास्क को सामान्य मास्क से ढककर रखा। इस तरह उन्होंने दो मास्क का उपयोग किया। 

कॉरोना संक्रमण से वेंटिलेटर पेट पहुंची 12 साल की लड़की

अस्पताल के प्रवक्ता ने कहा है कि मरीज काे आइसोलेशन में रखा गया है। और उचित सावधानी बरती जा रही है। एक अन्य मामले में चीन में, 14 साल के एक बच्चे की कोरोनावायरस संक्रमण से मौत हो गई। हांलाकि कई शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि बच्चों को नोवल कोरोनावायरस संक्रमण का खतरा नहीं है। लेकिन एक बाल रोग जर्नल के शोध के अनुसार 6 प्रतिशत बच्चों में कोरोना संक्रमण के गंभीर लक्षण देखने को मिले। जबकि वयस्कों में यह दर 18.5 प्रतिशत थी। बच्चों में कोरोना संक्रमण को देखते हुए, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कुछ बच्चों में कोरोनावायरस के `गंभीर` या` क्रिटिकल` रोग विकसित होने की चेतावनी है। और कहा है कि माता-पिता को अपने बच्चों का COVID-19 से बचाने के लिए तैयार रहना चाहिए। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) द्वारा विश्लेषण किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि युवाओं को दुनियाभर फैल रहे कोरोनोवायरस संक्रमण या इसके कारण अन्य रोग होने का खतरा कम नहीं है।