कोराना वायरस से किडनी पेशेंट को ज्यादा खतरा-

नई दिल्ली : गुर्दा रोग से पीड़ित मरीज जिन्हें डायलिसिस करवानी पड़ रही है उनको कोरोनावायरस से ज्यादा खतरा हो सकता है। यह बात एक अध्ययन में सामने आई हैं। हेल्थ-इंडिया के कार्यकारी निदेशक और इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी के अध्यक्ष प्रोफेसर विवेकानंद झा के हवाले से कहा गया है कि ऐसे मरीजों (गुर्दा रोग से पीड़ित) की स्थिति अन्य लोगों जैसी नहीं होती क्योंकि इन्हें ज्यादा खतरा होने के बावजूद हर सप्ताह दो या तीन बार डायलिसिस के लिए ले जाना ही पड़ेगा। इसलिए कोरोनावायरस के संक्रमण से बचाने के लिए इनकों दूसरों से अलग-थलग और घर में ही नहीं रखा जा सकता है। लिहाजा, गुर्दा रोग से पीड़ित मरीजों में एक दूसरे से भी संक्रमण का खतरा रहता है और उनसे उनके परिवार के सदस्यों, मेडिकल स्टाफ और कर्मचारी व अन्य लोगों को संक्रमण का शिकार बनने का खतरा बना रहता है। उन्होंने कहा है कि कोविड-19 (नोवल कोरोना वायरस से उत्पन्न रोग) के संक्रमण में गुर्दा का संबंध अक्सर देखने को मिलता है और जब संक्रमण गंभीर होता है, तो यह मृत्यु दर का एक अलग ही कारण बन जाता है। चीन और भारत समेत दुनिया के कई अन्य देशों के शोधकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप लिखा गया शोधपत्र 'नोवल कोरोनावायरस 2019 एपीडेमिक एंड द किडनीज' का प्रकाशन 'किडनी इंटरनेशनल' नामक जर्नल में हुआ है। इससे पहले सार्स (एसएआरएस) और मर्स (एमईआरएस) कोरोनावायरस के संक्रमण की रिपोर्ट बताती है कि गुर्दे की गंभीर बीमारी से पीड़ित पांच से 15 फीसदी मरीजों वायरस का संक्रमण पाया गया, जिनमें तकरीबन 60-90 फीसदी मरीजों को अपनी जान गंवानी पड़ी। कोविड-19 संक्रमण की शुरुआती रिपोर्ट में गुर्दे की गंभीर बीमारी से पीड़ित तीन से नौ फीसदी मरीजों में संक्रमण के मामले प्रकाश में आए हैं, लेकिन बाद की रिपोर्ट से गुर्दे की बीमारी की तीव्रता ज्यादा होने का संकेत मिलता है। कोविड-19 के 59 मरीजों के अध्ययन में पाया गया कि करीब दो-तिहाई मरीजों में अस्पताल में भर्ती के दौरान पेशाब के जरिए प्रोटीन का अत्यधिक रिसाव पाया गया।

6 दिन में ठीक हो सकता है  संक्रमण, शोधकर्ता ने किया दावा 

दावा करने वाले प्रोफेसर डिडिएर राउल्ट ने कहा कि यह दवा घातक वायरस काे सिर्फ छह दिनों में संक्रामक बनने से रोक सकती है। प्रोफेसर राउल्ट, जो प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट हॉस्पिटो- यूनिवर्सिटेयर मेडरट्रैनी इंफेक्शन ऑफ फ्रांस से जुड़े हैं, एक संक्रामक रोग विशेषज्ञ हैं। परीक्षण के बारे में बताते हुए उन्हाेंने कहा कि जिन कोरोनोवायरस रोगियों का मैंने क्लोरोक्वीन के साथ इलाज किया था वे तेजी से ठीक हो रहे हैं।" क्लोरोक्वीन का उपयोग मलेरिया के रोगी के इलाज के लिए किया जाता है और हाल ही में अमेरिकी ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने कोरोनोवायरस रोगियों के इलाज के लिए दवा के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी। एक रिपाेर्ट के अनुसार प्रोफेसर राउल्ट ने कहा कि उन्होंने प्लासेंबिल के माध्यम से 10 दिनों तक प्रति दिन 24 कोरोनोवायरस रोगियों को क्लोरोक्वीन की 600 एमसीजी डोज दी। और ये मरीज तेजी से ठीक हो रहे हैं। चिकित्सक का दावा है ये 24 लोग कोरोनोवायरस के पहले मरीज थे। और दवा का सकारात्मक परिणाम 6 दिन में ही दिखने लगा था।

किडनी के मरीजों को कोराना से ज्यादा खतरा : शोध

किडनी व गुर्दा मरीजों से भी संक्रमण एक दूसरे में फैलने का खतरा रहता है। उससे उनके घर परिवार के सदस्यों व अन्य लोगों को संक्रमण का शिकार बनने का खतरा बना रहता है। इसलिए सावधानी की जरूरत उन्होंने कहा है कि कोविड-19 (नोवल कोरोना वायरस से उत्पन्न रोग) के संक्रमण में गुर्दा का संबंध अक्सर देखने को मिलता है और जब संक्रमण गंभीर होता है, तो यह मृत्यु दर का एक अलग कारक बन जाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि डायलिसिस के मरीजों के परिजनों को कोविड-19 का संक्रमण परिवार और दूसरे लोगों में फैलने से रोकने के लिए सावधानियां रखे।

नमक पानी से हाथ मुंह को धोकर वायरस से बचे

यदि घर में सेनेटाइजर नहीं है तो परेशान न हो चार चमच्च नमक को अधा बाल्टी पानी में घोल लें। और इससे हाथ और मुंह को अच्छे से धोते रहे। व गुनगुने पानी में थोड़ी हल्दी मिलाकर गरारे करें। हल्दी मिलाने के कई लाभ होते हैं। यह एंटीवायरस और एंटीबैक्टीरियल भी होता है। अगर गले में सूजन है तो आराम मिलता है। दांतों की समस्या में भी लाभ मिलेगा। सरसों के तेल में कोई भी वायरस जिंदा नहीं रह सकता है। इसके तेल में एक चुटकी हल्दी मिलाकर नाक, कान में लगाएं। लेकिन जिनको कोई समस्या है वे तत्काल अपने डॉक्टर से संपर्क करें। लापरवाही बिल्कुल ही न करें।

इनको खाने से बढ़ेगी आप की इम्यूनिटी 

डाइट में दालों को शामिल करें। इसमें प्रोटीन अधिक होता है जो फेफड़ों की क्षतिपूर्ति जल्दी करता है। चौलाई, सहजन की फली और फूल, सोयाबीन, अंडा, पनीर, दूध आदि भी ले सकते हैं। टमाटर, गाजर, पपीता, तरबूज, आंवला, चुकंदर आदि का सेवन करें। इनमें एंटीऑक्सीडेंट्स अधिक होते हैं। लहसुन भी खाना ठीक रहता है। इसमें संक्रमण से लडऩे वाले एलिसिन तत्व होता है। इससे इम्युनिटी भी बढ़ती है। इनका परहेज करें फेफड़ों से संबंधित ज्यादा परेशानी है तो ज्यादा खट्टी जैसे दही, छाछ और ठंडे पेय पदार्थ लेने से बचें। तेज मसालेदार भोजन और तला-भुना न खाएं। इनसे एसिडिटी होती और फेफड़ोंं को नुकसान होता है। बासी और बाजार का फूड न खाएं। अधपका मांस खाने से बचना चाहिए। नॉनवेज खा रहे हैं तो मिर्च मसाला व तेल कम डालें। ज्यादा मिर्च-तेल से इम्युनिटी घटती है। भरपूर पानी पीएं। इससे शरीर हाइड्रेट रहता है। वायरस का असर शरीर पर नहीं होता है। स्वस्थ व्यक्तिको रोजाना 3-4 लीटर तक पानी पीना चाहिए।

हंसकर भी कोराना के संक्रमण से दूर रह सकते है, जानिए इसके बारे में

हंसने पर दिल हिलता है, सीना तेज गति से सक्रिय होता है और टी सेल्स(सफेद रक्त कोशिकाओं का प्रकार) की संख्या बढ़ती है जो सांस की नली में संक्रमण व रक्त धमनियों के थक्के को दूर करती है। इम्यूटन सिस्टम सुधरेगा: कोई बीमारी है तो अंदरूनी हंसी हंसे। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। चेहरे की चमक: हंसने से चेहरे की ओर रक्त प्रवाह बढ़ता है जिससे चेहरे का कसाव व चमक बढ़ती है। तनाव घटेगा: तनाव में है तो 10 मिनट सुबह व शाम को रह रहकर हंसने से तनाव दूर होगा। 10 दिन में घटेगा वजन- 10 मिनट रोजाना रोलिंग हंसी हंसे। इससे 300 से 400 कैलोरी खर्च होगी और 10 दिन में 1 किलो वजन घटेगा। खिलखिलाकर धीमी आवाज में हंसने पर कैल्सीटोनिन हार्माेन का स्राव होता है जो कि फाइब्रोमलेजिया(शरीर में दर्द रहना), गठिया व हड्डियों के भुरभुरेपन को ठीक करता है।

कैसे बढ़ाएं अच्छे बैक्टीरिया -

अच्छा खान-पान -

खाने, पीने और सोना अच्छे बैक्टीरिया की वृद्धि के लिए वातावरण तैयार करती हैं। अच्छा व्यवहार - जैसा कि हमारी सभ्यता और संस्कृति सिखाती है-शरीर के अंदर निवास करने वाले अरबों सूक्ष्म जीव आपके व्यवहार से भी प्रभावित होते हैं। हमारे व्यवहार को हार्मोन नियंत्रित करते हैं और हार्मोन को मस्तिष्क। मस्तिष्क हमारे ज्ञान, आदतों और व्यवहार के अनुसार कार्य करता है। ऐसे में सकारात्मक विचार और नियम-संयम वाला व्यवहार आपके साथ आपके अंदर निवास करने वाले जीवों के लिए भी अनुकूल होगा। वायरस से मुकाबला करने में मददगार - इटली की स्पेनजा यूनिवर्सिटी के शोधकर्मियों ने प्रोबॉयोटिक बैक्टीरिया में वायरसों के मुकाबले की शक्ति खोज निकाली है। एनअरोबी जर्नल में प्रकाशित उनके शोध के अनुसार लैक्टोबेसिलस ब्रेवी जैसे बैक्टीरिया हर्पीज जैसे वायरसों का मुकाबला करते हैं और शरीर की रोग प्रतिरोधकता क्षमता को बढ़ाकर शरीर को स्वस्थ रखते हैं।